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अख़लाक़ अहमद ज़ई

Classics

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अख़लाक़ अहमद ज़ई

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सार्थकता

सार्थकता

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सम्मोहन में तैरती

पिछली ज़िन्दगी से 

तुम्हें बहुत घबराहट होती है 

मुझे अच्छा लगता है 

सम्मोहन विद्या की भूमिका 

प्रारम्भ करने में 

और सभी नाजायज़ आदतों को 

गुलदस्ते में रख, ड्राइंगरूम में 


सजाने में या 

डायनिंग टेबल पर 

थाली में परोसने में 

तुम्हें या 

मुझे ना सही 

पर 

किसी हद तक 

कमरे में प्रवेश करने वालों 

के जिज्ञासाओं का समाधान होगा 


और हाँ

बस हाँ

यही मेरी सार्थकता होगी।


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