दर्द
दर्द
तुममें घुलकर भी तुम होना नहीं था
मुझे अपना "मैं" भी खोना नहीं था।
तसव्वुर तो बड़े खूबसूरत सजे थे मेरी आँखों में
पर जाने क्यों इन आँखों में कभी सोना नहीं था।
आसमां का जो आँचल सजता है हर रात चाँद से
उस चाँद में दर्द, काले दाग का पिरोना नहीं था।
दिल था वो मिरा नाजुक फूलों की पंखुड़ियों सा
चोट पर टूट जाने वाला काँच का खिलौना नहीं था।
तासीर तो बड़ी कड़वी निकली तिरी ए 'जिंदगी '
पर मुझे भी कभी इसे शहद में भिगोना नहीं था।