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निखिल कुमार अंजान

Drama Inspirational

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निखिल कुमार अंजान

Drama Inspirational

रावण का अंत

रावण का अंत

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आज एक बार फिर से सदियों से चल रही प्रथा निभाएँगे,

राम रावण का युद्ध करवा कर, रावण का पुतला जलाएँगे,

बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएँगे,

पर क्या सच में बुराई का रावण मार पाएँगे।


क्या सच में आज की सीता का मान बचा पाएँगे,

क्या सच में भाई-भाई में प्रेम जगा पाएँगे,

क्या रिश्तों को कंलकित होने से बचा पाएँगे,

क्या सच में कुल की मर्यादा बनाए रख पाएँगे।


सवाल यही है सत्य की वनवास यात्रा को रोक पाएँगे,

या फिर अंदर जो बैठा है बुराई का रावण, उसको जला पाएँगे,

या देखेगें तमाशा रावण दहन का और जश्न मनाएँगे,

जब तक ये कलयुग का रावण नही मरेगा।


राम रावण के युद्ध का अभिनय निरंतर चलेगा,

सीता की अस्मत को तार-तार किया जाएगा,

इंसान के व्यक्तित्व पर ही कलंक लग जाएगा,

बुराई रूपी रावण का स्वरुप लगातार बढ़ता जाएगा।


अब न कोई राम का अवतार लेगा,

न ही कोई रावण का वध करेगा,

सत्य तो अब वनवास जा ही चुका है,

झूठ का अंधियारा चारों ओर छा चुका है।


सत्य की लौ को अब जलाना होगा,

अंदर बैठे रावण को मिटाना होगा,

चारों ओर खुशियों को फैलाना होगा,

तब जाके सफल विजय दशमी का पर्व मनाना होगा।


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