मैं मसाला हूं
मैं मसाला हूं
प्रेम का हूं पाश, स्वाद का मैं रास हूं
ग्रहणियों का विश्वास मैं चुटकी भर उल्लास हूं
मैं भूखों की भूख, भोजन प्रेमियों की प्यास हूं
और,
ठीक डाला जाए तो पुष्प हूं मैं
पर ज्यादा डल जाए तो भाला हूं,
आपका साथी, मैं मसाला हूं ।।
बीज, फल, जड़, छाल से मेरा उद्गम होता है,
मेरे ही कारण भोजन में अलंकार उत्पादित होता है,
भारतीय भोजन के प्राण हूं मैं, फिर भी भारतीय दूसरे भोजन को ढोता है,
और,
अपने में ही रौद्र हूं मैं, और अपने में ही निराला हूं
आपका मन खुश करने वाला
मैं आपका मसाला हूं ।।
मैं ही हूं जिसने पूरे पश्चिम को पागल कर दिया था
दौड़-दौड़ कर “गोरे” आए केरल में इतना साम्राज्य खड़ा कर दिया था,
स्वादायक के रूप में प्रेम का प्याला हूं
आपकी भोजन की थाली आपका मसाला हूं ।।
हल्दी, मिर्ची, धनिया, मैथी
शस्त्र बने हैं नारी के
केसर, इलायची, लौंग, सुपारी से
बीड़ा बने बिहारी के
जायफल, जावित्री से बोल फूटे शिशू बाली के
और मैं ही एक मात्र कुंजी हूं
जिसने खोला नीरसता का ताला है
अपनी गाथा बता रहा हूं मेरा नाम मसाला है ।।