STORYMIRROR

Yashraj Malvi

Abstract Inspirational

3  

Yashraj Malvi

Abstract Inspirational

गज की व्यथा

गज की व्यथा

1 min
287

एक दिन कानन में, अपने ‌दंत बेचता गजराज मिला 

दिमाग मेरा बंद हो गया, दिल मेरा दृश्य देख हिला

पूछा मैंने धीरे से क्या तुम्हें परेशानी है 

गज उत्तर देता है मनुष्यों से मुझको हानि है

मैं कितना मदमस्त था घूमा करता वनों में

छल कर के तुम मारते मुझे दया ना बची तुम जनो में ,

शिकारी मारता मुझे दंत मेरे तुम ले जाते हो 

ऐसे मैं मरना नहीं चाहता

फलों में विस्फोटक भर के खिलाते हो

दंत मेरा है तुम्हारे काम का

इनसे वाद्य यंत्र बनाते हो ।

निर्दय हो सभी इसलिए हार स्वीकार करता हूं ,

अपनों से लुटा मैं इसलिए दंत व्यापार करता हूं ।

हाथी का उत्तर सुनकर

उसका हाल दिल में छा गया

करुण भावना देकर उसे , मैं अपने घर आ गया ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract