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Yashraj Malvi

Inspirational

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Yashraj Malvi

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आज़ादी की बधाई !

आज़ादी की बधाई !

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ले चलता हूं उस दौर में जब सूरज भी गुलाम था

भारतवासियों का जब लगान देना ही काम था  

जब हर पीठ में चाबुक के निशान पाए जाते थे

मजदूरी मजदूर करता था कमाई शासन वाले खाते थे


जब पड़ती थी हर कानों में बर्फ में लेटे क्रांतिकारियों की सांसे

अंधेरे में बैठे आसमान को तकते आजादी की आसें ।

चमड़ी के कारतूस लाके भावनाओं से खिलवाड़ किया

गुलाम गिरी में जकड़ कर जीवन को बर्बाद किया  


धनधान्य बड़े मंदिर जब मलबे मे तब्दील हुए

छोटे से पश्चिमी व्यापारी जब रक्तरंजित शमशीर हुए ! 

धू-धू कर आग में झुलसते जब हमारे ग्रंथ

निर्दोष मारे जाते हमारे साधु संत


पश्चिमी पोशाकों से होता संस्कृति का अंत

तब संग्राम सिंहों का इतिहास सुनहरा करता है 

रिश्ता वतन से और भी गहरा करता है ।। 

फिर चारों दिशाओं में क्रांति का विस्तार हुआ  


अंग्रेजों को खदेड़ना जब जीवन का सार हुआ  

कंपनी में जब कंपन हुआ टूटी फिरंगी माया  

तब झुके खड़े अंग्रेजी झंडे  तिरंगा अंबर में लहराया ।।

पर इस आजादी की हमने भारी कीमत चुकाई है  


युद्ध के नगाड़े 75 वर्ष पहले बजे  अब स्वतंत्र बजती शहनाई है !

करोड़ों लोगों ने जीवन दिया

फिर हमने आज़ादी पाई है ! 

इन हमारे वीरों का हमें सदा कर्ज़ रहेगा  


आज़ादी को बचाना हमारा सदा फर्ज रहेगा  

आज हुए 75 वर्ष क्रांतिकारियों ने हमारी जान बचाई है  

आज हम स्वतंत्र हुए  इसलिए आज़ादी की बधाई है !


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