ऐ कोरोना तू क्यों आया ?
ऐ कोरोना तू क्यों आया ?
तू ने कितनों के दामन उजाड़ दिए
कितनों के अच्छे दिन बेकार किए
फिर भी तेरा मन नहीं भर पाया
ऐ कोरोना तू क्यों आया।
सूनी कर दी दुनिया की हर एक रौनक गली
कितनों की और लेगा तू बलि
ऐ दरिंदे, भारत भूमि को
तूने कितना दिली दर्द पहुंचाया,
ऐ कोरोना तू क्यों आया।
तोड़ दी तूने संबंधों की कड़ी
घर से निकलो तो मौत सामने खड़ी
फिर भी तेरा मन मेहमानी से नहीं भर पाया,
ऐ कोरोना तू क्यों आया।
तू क्यों इतना बढ़ रहा है,
कितनी जानों को हर कर चल रहा है
तू क्यों पृथ्वी में पल रहा है,
धरातल की तूने पलट दी काया,
ऐ कोरोना तू क्यों आया।
घर जाने का तू क्या लेगा
कपड़े उपहार मुद्राएं या आना ?
अगर कुछ ना लेगा तो बंद कर हमें डराना,
यहां तू किस मकसद से आया ?
ऐ कोरोना तू क्यों आया।
