एक धोखा
एक धोखा
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क्यों नहीं समझ पाए हम
कि तुम्हें इक दिन जाना ही था,
शायद तुम्हारी हसरतों में
सिर्फ मुझे पाना था,
अब इन लम्हों को
दिल से मिटाऊं कैसे,
एक धोखा ही तो थे तुम
खुद को समझाऊं कैसे,
शायद फिर ज़िन्दगी में
तुम्हे कोई मिल जाएगा,
लेकिन हमारी तरह
तुमको कोई नहीं चाहेगा,
आज शायद दर्द नहीं तुमको
हमें छोड़ के जाने का,
समझोगे तुम भी जब तुम्हें
कोई छोड़ के जाएगा।