कहानी 2020 की
कहानी 2020 की
घर मैं बैठे थक चुका था
और मन कर रहा था बाहर जाने को
कोरोना ने मचाया था तांडव
मजबूर थे खुद को बचाने को
रोज़ घर पे देखते थे फ़िल्म
या फिर कोई वेब सीरीज
नहीं सोचा क्यूं दिल ने
हकीकत दिखाने को
सब अपलोड कर रहे थे खुद के
बनाये पिज़ा पास्ता या पराठे
पर वो मजदूर भूखा था
एक वक़्त का कहना खाने को
बड़े बड़े बिज़नेस ठप पड़े थे
तव कोई नही आया
इमरजंसी का मतलब समझाने को
अपने ही अपनो से दूर हों गये
कोई नहीं आया मौत पे आंसू बहाने को
पुलिस डॉक्टर और स्वछता कर्मी
बने देश के आंतरिक सैनिक
दिया श्रेष्ठ योगदान
देश की मिट्टी का कर्ज चुकाने को
अब वक़्त हुआ हैं खत्म
इन पाबन्दियों का धीरे धीरे
और मिली हैं आज़ादी खुद को और
अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने को।