एक मुलाक़ात खुद से
एक मुलाक़ात खुद से
आज रात को जल्दी सो जाता हूँ ,
कल फिर नई खबर आयेगी।
फिर वहीं सुशांत और रिया ,
पता नही न्याय अपनी गूंज कब सुनायेगी ।
मसाले और शोरशराबे वाली धाकड़ न्यूज ,
पता नही कब मन की शांति बनाएगी
किसान गलत हैं या फिर सरकार ,
क्या ये कशमकश रात को नींद से जगायेगी?
जस्टिस फ़ॉर सृष्टि और मैं भी निर्भया ,
क्या ये मुहिम असली इंसाफ दिल पायेगी ,
खो गया हैं मेरा वजुद दूसरों की जिंदगी मैं झांककर ,
मैं खुद से मिलूंगा वो सुबह कब आयेगी!
