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R.j vanraj

Tragedy

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R.j vanraj

Tragedy

एक मुलाक़ात खुद से

एक मुलाक़ात खुद से

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आज रात को जल्दी सो जाता हूँ ,

 कल फिर नई खबर आयेगी। 


फिर वहीं सुशांत और रिया , 

पता नही न्याय अपनी गूंज कब सुनायेगी ।


मसाले और शोरशराबे वाली धाकड़ न्यूज , 

पता नही कब मन की शांति बनाएगी


 किसान गलत हैं या फिर सरकार ,

 क्या ये कशमकश रात को नींद से जगायेगी? 


जस्टिस फ़ॉर सृष्टि और मैं भी निर्भया ,

क्या ये मुहिम असली इंसाफ दिल पायेगी , 


खो गया हैं मेरा वजुद दूसरों की जिंदगी मैं झांककर , 

मैं खुद से मिलूंगा वो सुबह कब आयेगी!


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