"अजब सी प्रीत"
"अजब सी प्रीत"
अजब सी प्रीत दुनिया में,
लोग निभाया करते हैं !
बिना मल्लाह की कश्ती को,
सागर में डुबाया करते है !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते है !
पहले तो जख्म दिया करते,
फिर नमक लगाया करते हैं!
दूजों के दिल से खेल अक्सर,
दिल को बहलाया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते है !
केवल खूबसूरती के आगे,
ये सिर झुकाया करते हैं !
प्रेम के अफसाने पढ़ के,
ये तो मुस्कुराया करते हैं !
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते है !
कभी- कभी तो ये देखो,
कृष्ण बन जाया करते है!
इंसा तो बन पाते नहीं,
भगवान बताया करते है!
लोगों की क्या बात करें,
ये आया जाया करते है !
:- शिवांश पाराशर राही ✍️