जादू की बिल्ली
जादू की बिल्ली
आज खिला हुआ था सूरज कहीं भी नहीं
यहां-वहां सब जगह बारिश से गीला था हर कहीं
बाहर सड़क, पार्क, खेल का मैदान सब जगह था कीचड का पानी
सब जगह मिट्टी की फिसलपट्टी, सब जगह बस पानी ही पानी
मम्मी बज़ार और हम दोनों घर पर ही थे ओढ़े रजाई
बरसात संग घुली थी ठिठुरन ठंडी-ठंडी जम्हाई
मैं और लिली घर के कोने वाले कमरे की
कोने वाली खिड़की की पट्टी पर थी बैठी
और फिर बस बैठी ही रही बस बैठी ही रही
वही खिड़की वही पट्टी वही मैं और वही लिली की अंगड़ाई
उदास नीरस सी ज़िन्दगी लग रही थी
लग रहा था मानो सदियों से सदियों तक बैठी ही थी
अचानक एक धम्म की आवाज़ आई
लगा मानो भगवानजी ने किसी राक्षस पर बिजली थी गिराई
डर से हम दोनों की चारों आँखें बंद ही नहीं भिंच भी गई
फिर हमने झाँका, नज़र उठाकर देखा दरवाजे की चटाई
राक्षस नहीं ये तो थी परियों सी खूबसूरती,
सौंदर्य में जैसे दीप्ति समाई
दो काले बालों को देखा, देखा एक बिल्ली
एक काली बिल्ली जिसके सिर को ढंके थी लाल टोपी एक तिकोनी
अगले पल वो थी हम दोनों के बगल में बैठी
'ऐसे क्यों हो बैठी हो, है किस बात की उदासी ये बेरुखी कैसी '
सड़कें भीगी, मैदान की मिटटी है गीली, और
सूरज की धूप भी है कहीं गुम सी', फुसफुसाई लिली
'पर हम तो मस्ती कर सकते हैं ना क्योंकि
हम है रंग-बिरंगी तितली जैसे मनमौजी
करतब जादू,किस्से -पहेलियों का मैं खजाना हूँ लाई
आओ दिखाती हूँ तुम्हे, सिखाती हूँ तरकीबें बहुत सारी
'घर की मालकिन इन बच्चों की मम्मी नहीं हैं घर पर अभी
गई हैं वो अभी सब्जी मंडी लेने खीरा टमाटर नींबू अदरक प्याज आलू और भिंडी'
बोली पानी में तैरती घर की पालतु मछली
और ज़रा ये तो बताओ प्यारी बिल्ली!
दरवाजे पर तो कस के लगी थी कुण्डी
फिर अंदर भला कैसे आई तुम ओ अजनबी बिल्ली !
'सहमो ना, भागो ना मुझसे सब की मुझ में नहीं है कोई भी खराबी
मेरे जादू, मेरे करतब में है छुपी
तुम्हारी हंसी की मीठी मुस्की ठहाके वाली
देखो कैसे मछली यह अभी बन सनसनी
उड़ हवा में पतंग सी
खाकर यह मस्ती की गोली
उड़ो हवा में जैसे पतंग बिना कोई डोरी
बोली बिल्ली, 'लो बच्चों खाओ तुम भी !
ये आम पाचक की गोली और मचाओ खूब सारी धमाचौकड़ी'
सुनाए किस्से कहानियां बिल्ली ने स्टारिंग 'शेखचिल्ली'
फिर अपनी उड़नतश्तरी में बैठ कर चली गई बिल्ली।
'बाय बाय बिल्ली'