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Kanchan Prabha

Romance

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Kanchan Prabha

Romance

बैरी चाँद पूनम का

बैरी चाँद पूनम का

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ये बैरी चाँद पूनम का और

आँचल धानी सफेद

धरती पर आसमां की

खोले सुन्दर भेद 

रेत पर जैसे बहती कोई

शीतल नदी की धार

देख मृगा भी मृगनैनी से

करने लग गया प्यार


रात की कलियाँ भवरों के संग

मिल कर गाये गीत

मधुर प्रेम के प्रणय पाश में 

झूम उठे मनमीत

होठों पर मुस्कान भरी अब

हुआ सुहाना मौसम

चंद्रप्रभा से जग ये चमका

दूर हुये हैं हर गम

दौड़ लगाता छुप कर हंसा

नाच उठे थे मोर

कितनी सुन्दर कितनी पावक

होगी कल की भोर

  

    



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