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Kanchan Prabha

Classics Fantasy Inspirational

4.7  

Kanchan Prabha

Classics Fantasy Inspirational

आज प्रकृति आजाद है

आज प्रकृति आजाद है

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प्रकृति भारत का सरताज है 

आज प्रकृति आजाद है 

ओस की नन्हीं बूँदों का पत्तों पर गिरना अच्छा है 

धरती पर इस तुुफां के धुलों का उड़ना अच्छा है

मानव ने दी बहुत यातना प्रकृति के कोमलता को

उल्टी दिशा मेें अब हर नदियों का मुड़नाअच्छा है

यही इसका अंदाज है

आज प्रकृति आजाद है 


थोड़ी सी तो लाज बचा लो धरती के प्रकोप सेे

तीव्र तेज में जल ना जााओ तुम इस पीले धूप से

घोर घटा ये सावन की,पर कम्पन हृदय की तेेज है 

बचना मुश्किल हो ना जाए मौसम के रौद्र रूप से

विनाश का ही आगाज है

आज प्रकृति आजाद है 


कितने मीठे मीठे लगते पँछी चिड़ियों के ये कलरव 

आओ हरियाली बनाायें धरती को मिल कर हम सब

धरती पर उतड़े एक दिन कोई परी मोहित हो कर

देख इतनी सुन्दर धरती गाँव शहर जब हर्षित होकर 

धरा की यही आवाज है 

आज प्रकृति आजाद है।


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