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Kanchan Prabha

Others classics romance tragedy

4.5  

Kanchan Prabha

Others classics romance tragedy

समंदर का कौतूहल

समंदर का कौतूहल

1 min
285


Prompt-29

समंदर की लहरों की गति 

आपने बहुत देखा है 

कभी किसी धड़कन को 

उफनते तो देख लीजिए 


बहते पानी के दरिए भी 

बहुत देखे होंगे 

किसी नैनो के सैलाब को 

उमहरते भी देख लीजिए ।


सुलगती नदी थी वह 

शीतल सा आग था वह 

तपती रेत पर वह 

फिर से मुट्ठी से भर कर उड़ा दिए ।


आंसुओं की ओस में 

भीगी थी दिल की जमी 

यादों के झोंकों ने फिर से 

रूह के चादर ओढा दिये।


नाव की स्थिरता भी देखी थी

रेत का महल ना देख पाये

हृदय में जो लहरें चली

वो कौतूहल ना देख पाये।


उसकी हर अदा बेनजीर थी

मेरे अक्स में बसी वो जमीर थी

मेरे अब्सार पर थे उसके आब-ए-नूर

क्या कहुँ कि मैं राँझा वो मेरी हीर थी।


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