ज़िन्दगी तू और तेरे गम
ज़िन्दगी तू और तेरे गम
अपने आप पर सितम ढाते आये हैं बरसों
ज़िन्दगी हम तेरे गम उठाते आये हैं बरसों
रुला देता हैं ज़माना हमें बार-बार
और अश्कों को हम पीते आये हैं बरसों
अरमान मेरे दिल के बदलते गए हैं
और यह ज़िंदा लाश उठाते आये हैं बरसों
कोई दो कदम भी मेरे साथ न चल सका
ज़िन्दगी तन्हा हम बिताते आये हैं बरसों
हम रो भी दें तो हँस देता है ज़माना
ज़माने के चलाये तीर खाते आये हैं बरसों
अब तो न खुद से रंजिश न ही ज़माने से
अब तो वही निभाएंगे जो निभाते आये हैं बरसों....