"हिंदी" मां भारती की बिंदी
"हिंदी" मां भारती की बिंदी
"मां" जीवन का वह पहला अक्षर
हिंदी भाषा से ही आया था
परिभाषा, शिक्षा जीवन की
सरलता से हिंदी ने सिखाया था
संस्कृत भाषा से उपजी हिंदी
परिचित है, मनोरम, मीठी भी
अक्षम क्षणों के सारे उपाय
संजोए रखी है भाषा हिंदी
यूं तो मां भारती है सुशोभित
अनगिनत बोलियां, भाषाओं से
लेकिन हिंदी है सर्व प्रथम
ऊर्जा भर्ती है आशाओं में
भारत मां की है शान बढ़ाती
संतों की वाणी से साकार कराती
साहित्य का असीम सागर इसमें
हिंदी है अपने देश की संस्कृति
है जोश की यह असीम धारा
बहती रहती है हर रग रग में
विदेशी मस्तक भी झुक गए
ज्ञान बिखेरती हिंदी है जग में
भारत मां का ऊर्जावान चेहरा
सुशोभित है केसरिया बिंदी से
यह बिंदी कोई साधारण नहीं
इसकी शोभा है अपनी हिंदी से......