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Sirmour Alysha

Fantasy Inspirational

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Sirmour Alysha

Fantasy Inspirational

यूँ बैठे किसकी राह देखते हो ”

यूँ बैठे किसकी राह देखते हो ”

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यूँ बैठे गुमसुम....ले कर गुमशुदा मन

किसकी राह आब-ए-अक्स में देखते हो,


कहीं निगाह वहां मुसलसल अटकी तो नहीं

जहां दिलकशी सूरत उसके पढ़ते हो,


बावरा क़ल्ब है कहां विरानियत में भटका

किसके इंतज़ार में अबसार नम किए हो,


सफ़र गुज़ार ले अकेले कहीं बैठ के भी

क्यों काफ़िला में दर-ब-दर ढूंढते हो,


कि ज़ीस्त तन्हाई में गिरफ़्त हो रही

यादों के महफ़िल क्यों सज़ा रखें हो,


उम्र-ए-रफ़्ता न लौट आने कि गुंजाइश में है

कैसा दस्तूर चाहत का, बे-नूर क़िस्मत भी हो,


दूर वादियों में साथ हमसफ़र हवा-ए-शब भी

ख़्वाहिशें अधूरी जिस्त में क्यों बसा रखें हो,


दश्त भी गुमनाम हो रहा न खबर आने की

झील कि शोर से अब क्यों खामोश होते हो,


शबनमी बूँद टपकती दरख़्तों से..मंद यादें कुछ

खुशनुमा मनाज़िर जैसे अकेलेपन का एहसास हुआ हो,


ऐ हम-नफ़स यूँ कब तलक बैठूं गुमसुम इंतज़ार में 

बेहतर कारवाँ सफ़िनो का क्यों लहरों से गहरी रब्त हो,


बेकरारी घेर रहीं बिन तेरे साहिल पे बैठ कर

समंदर भी बेज़ार ठहरा जैसे कोई हमदर्द हो,


बेहिसाब कमी खल रही पल भर के दिल-ए-सुकूत में

अफ़्सुर्दा-मिज़ाज ‘सिरमौर’ के हर नज़्म क़्यो बयां हो,


किसी के लौटने की राह न देखो ऐ गुमशुदा मन

कि इश्क में यूँ ज़िद्दी बन बैठना न मुक़म्मल जाँ हो...!!!



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