योजना
योजना
जीवन में योजना बनाते-बनाते
यूं ही सारी उम्र बीत जाती है
कभी पढ़ाई-लिखाई की बात करें
कभी करियर की चिंता खाती है
कभी मां से बात मनवाने के लिए
मस्तिष्क में, भूमिका बांधी जाती है
कभी पिताजी की डांट से बचने के लिए
मन में, बहानों की माला पिरोई जाती है
कभी बाहर का खाना खाने की
तलब... हमें लग जाती है
कभी मां के हाथ के परांठे देख
जीभ... हमारी ललचाती है
कभी दोस्तों के साथ घूमने का
प्लान, झट से हम बनाते हैं
कभी घूमने जाने की बात सुनकर
तुरंत मना करने का उपाय सुझाते हैं
कभी एग्जाम की तैयारी में
उलझ बहुत हम जाते हैं
कभी अच्छा रिजल्ट देख कर
अचानक खुश हो जाते हैं
कभी शादी-ब्याह में जाने को
आतुर हम हो जाते हैं
कभी बीमारी का बहाना देकर
शगुन भेजकर, काम चलाते हैं
कभी मित्रों से मिलने के खातिर
छुट्टी का शोर मचाते हैं
कभी दोस्तों से बचने के खातिर
बहाने की योजना बनाते हैं
कभी कोर्स करने के लिए
दस जगह दिमाग दौड़ाते हैं
कभी नौकरी करने के लिए
हम प्लान नए बनाते हैं
कभी पैसे जमा करने के लिए
दिन-दुगुनी मेहनत करते हैं
कभी पैसे खर्च करने के लिए
मन को भ्रमित करते हैं
कभी प्यार पाने के लिए
हम रूपरेखा बनाते हैं
कभी साथ निभाने के लिए हम
हस्तरेखा से आगे बढ़ जाते हैं
कभी नफ़रत की आग हमारी
दुनिया को रोज़ जलाती है
कभी बदले की भावना बुद्धि में
परिकल्पना को सजाती है
कभी जीवनसाथी के रूप में
भविष्य योजना बनती है
कभी करियर को दांव पर देख
हमारी मेहनत आह भरती है
कभी बच्चों का जीवन संवारने के लिए
हम दिन रात विचार करते हैं
कभी उनकी प्रॉब्लम को सॉल्व करने का
प्लान हम फौरन उन्हें बताते हैं
कभी बुढ़ापे के लिए हम
योजनाएं बनाते हैं
कभी कल की चिंता में...
हम अपना आज गंवाते हैं।
