कभी कभी पल जिंदगी में ऐसे तराशा जाता है
कभी कभी पल जिंदगी में ऐसे तराशा जाता है
कभी-कभी पल जिंदगी में ऐसा तराशा जाता है,
न समा रहता है, न जिया जाता है,
न चाह कर भी दिल चाहने को ही चाहता है।
कभी-कभी लम्हा जिंदगी से कैसे गुजर जाता है।
आंसू में भी कभी चहक सी ढूंढ लाता है।
चाह कर भी कभी अनचाहा सा हो जाता है,
हर लफ़्ज़ तकदीर में बदल जाता है,
तो कभी खामोशी में भी अलग ही गूंज जाता है।
कभी-कभी हर पल जिंदगी में ऐसे तराशा जाता है।
ऐसे तराशा जाता है, ऐसे तराशा जाता है।

