अच्छे दिन नही आये अच्छे दिन नही आये
आखरी में निराश होकर लिखूंगा एक कविता आखरी में निराश होकर लिखूंगा एक कविता
मन मेरा कलुषित है तन मेरा दूषित है मन मेरा कलुषित है तन मेरा दूषित है
सीना तानकर खड़े रहनेवाले खंडहर में तबदील हो जाते है सीना तानकर खड़े रहनेवाले खंडहर में तबदील हो जाते है
हम में हर किसी को हरदम ही रखना है यह ध्यान, जागृत रहकर लक्ष्य पाएंगे न होगा कोई नुकसान हम में हर किसी को हरदम ही रखना है यह ध्यान, जागृत रहकर लक्ष्य पाएंगे न होगा क...