पंछी
पंछी
कलरव करती चिड़िया लगती कितनी प्यारी चिड़िया
सुबह होते ही चिड़िया रानी बगिया में आ जाती
चूं- चूं शोर मचाकर मुझे बिस्तर से जगाती
छोटे-छोटे पंजे इसके, मोती जैसी आंखे इसकी
मीठे गीत सुनाकर हम सबका दिल बहलाती
चारो तरफ फुदक कर अपना नाच दिखाती
छोटा दाना चुग कर बड़े चाव से खाती
दाना चुग कर नीड़ बनाती श्रम से कभी नहीं चिड़िया हारती
छोटे-छोटे पर है इसके लेकिन मीलों तक आकाश में उड़ जाती
भूरी, लाल, हरि, रंग बिरंगे रंग की प्यारी चिड़िया उन्मुक्त गगन में उड़ जाती
नन्हे- नन्हे तिनके चुनकर घोंसला बनाती, रात होते ही चिड़िया रानी झट से घोंसले में आ जाती
पेड़ों की शाखाओं में अपना वास बनाती
कुदरत की ये अनुपम देन इनके लिए गर्मी में नेक काम करे पंछी के पानी पीने का इंतजाम करे
छायादार स्थान पर प्यारे से पानी के पात्र लगाए,
रोज उसमें पानी भर जीवन में पुण्य कमाए
ये पंछी पानी पीकर तृप्त हो जाती
मूक पंछी पानी पीकर अपना आभार करते, सुन्दर सी अठखेलियों से खुशियों का भंडार भरेंगे
संतुलित कर पर्यावरण को बनाते हमारे लिए भव्य जहान है
आओ पंछी का मित्र बन सुन्दर संदेश दे तृप्त हो इनकी प्यास ऐसा परिवेश दे
इनमें सहभागिता हमारा पुनीत कर्म है
इनका बचाव कर, इनकी सेवा कर
पर्यावरण के हित ये जीव अनुपम कुदरत की देन है।
