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Govind Narayan Sharma

Fantasy

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Govind Narayan Sharma

Fantasy

अजीब दास्तान

अजीब दास्तान

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यह दिल भी अजीब है कभी कुछ छुपाता नहीं,

छोटी छोटी बात का फ़साना कभी बनाता नहीं!


हद से बात बिगड़ जाए सर पे जब यह चढ़ जाए,

फिर मत पूछो कुछ यारों बस में रह जाता नही!


कुछ बीज बो दें धरा में जो प्रेम से भर दे जहां को,

हर ओर बहे प्रेम की हवा ऐसा बना दें शमा को!


जब रंग इश्क का चढ़े ख्वाहिशें शौकीन हो जाती हैं,

दिल में दिलबर बसे तो सारा जहान रंगीन लगता है!


चलो आज हम मिलकर इक वादा करते हैं, 

दिल हमारा तुम रख लो हम तुम्हे रख लेते हैं!


एक ऐसी आग लगी बदन में न जीने दे न मरने दे,

चुप रहूँ तो कलेजा जले बोलूँ तो तेरे वादे कसमें हैं!


हर रंग लग गया देह पर फिर भी तन हुआ न लाल,

जब मिली नजर तुमसे मेरा रोम रोम भया गुलाल!



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