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संजय असवाल "नूतन"

Abstract Romance Fantasy

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संजय असवाल "नूतन"

Abstract Romance Fantasy

दिल के अरमान..!

दिल के अरमान..!

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दो पल की जिंदगी नदी के किनारे

जहां बैठे मिलते थे ये दो दिल हमारे

वो यादों के मंजर अजब थे फसाने 

तेरी चाहत में डूबे हम बन गए दीवाने।


वो खिलखिला के हंसना कांधे पे सर रखना

कभी रूठना फिर आंखों से बात करना 

वो लिखना दिले ए हाल अपनी चिट्ठियों में

वो सबसे छिपाए मुझे बेपनाह प्यार करना।।


वो तेरा मुझे देखकर फिर यूं लजाना 

दुपट्टे से चेहरे को अपने छुपाना 

पानी में फिर तेरा अठखेलियां करना 

वो मुझे देख तेरा खुद में सिमटना।


तुझे देख लगता है कयामत से आई हो

छुईमुई सी हो बड़ी करिश्माई हो

छू लेता हूं तो बर्फ सी पिघलने लगती हो 

तुम हुस्न के रंगों में गजल कहने लगती हो।।


अजब हाल था मेरी इस मोहब्बत का

पास होकर भी दिल में सन्नाटा पसरा था

लफ़्ज भी मेरे बस यूं खामोश थे

उलझनों में राह तुम तक आसान नहीं था।


तुम्हें अपने दिल की गहराइयों में बसाऊं

तुम्हें जिंदगी से बढ़कर अब मैं चाहूं

मांगूं रब से दुआ तेरे लिए रात दिन

आ तेरी खुशियों में मैं चांद तारे सजाऊं।।


दिल के अरमानों का तुम साज हो

तेरी सोहबत का मुझे नाज हो 

मैं जमीं हूं गर तुम मेरा आसमान हो 

इश्क की इमारत का तुम ताज हो।


चलो फिर इस मोहब्बत को एक नाम दे 

धड़कते दिलों को सुरमई शाम दे

फिर सजाएं हम शमा ए महफिलों को

प्यार की गहराइयों को हम मुकाम दें।।



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