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Shital Yadav

Drama Fantasy

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Shital Yadav

Drama Fantasy

सवेरा

सवेरा

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सवेरा


हर अंधियारी रात का

होता हैं सुनहरा सवेरा

फिर शाखों पे यहाँ हैं

होता पँछीयों का बसेरा ।


सूरज की किरणों से

फैलें केसरिया लाली

मिश्री की भाँति लागे

कोयलिया की बोली ।


सुनहरी चादर धूप की

ओढे इठलाती कलियाँ

सुनकर गुंजन भँवरों की

खिल जाती सारी बगिया।


मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू

छू लेती इस तनमन को

झरने की भांति ही निर्मल

प्रगति पथ दे जीवन को।


प्रकाशितकर इस धरा को

उम्मीद की किरण जगाई

प्रकृति की सुंदरताने सबके

आँखों की चमक फिर बढ़ाई।


रात की हथेलियों पर दिया

वादा नया सवेरा लाने का

जीवन की इस अंधियारें में

उजियारा नया दिखलाने का ।


समय की धारा में रहकर

तूफ़ानों से क्यों घबराना?

हिम्मत और मेहनत से ही

सफलताओं को हमे हैं पाना।


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