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Sonam Kewat

Romance Fantasy

4  

Sonam Kewat

Romance Fantasy

सूरज और चांद

सूरज और चांद

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मैं चांद रोज अपना एक हिस्सा देकर आधी हो जाती,

कभी पूर्णिमा तो कभी अमावस्या बनकर रात बिताती।

वो सूरज भी मुझसे मिलने को मचलता रहा,

कभी पूरब से निकलता तो कभी पश्चिम में ढलता रहा।

वो सूरज है और मैं चांद हूं,

जब जब सूरज ने लोगों को जलाया हैं,

तब तब चांद ने आग को बुझाया हैं।

सूरज की जलन में भी आग हैं और 

चांद में शीतलता का एहसास हैं।

मैं हर सुबह उसे मिलने बुलाऊंगी पर 

उसके आते ही मैं छुप जाऊंगी 

क्योंकि 

वो सूरज है और मैं चांद हूं।

दोनों थे बेचैन फिर मिलने खातिर,

मिलते भी वो तो कैसे मिलते आखिर?

अब इंतजार में दिन और रात का पहरा होगा,

जब मिलेंगे चांद और सूरज तो वो वक्त काफी सुनहरा होगा..

चांद आती है रातों में और 

सूरज का उजाला दिन में होता है 

जब चांद जागती है 

तब जाकर सूरज सो

ता है 

प्यार उनका अगर सच्चा होगा 

तो कुदरत रास्ता दिखाएगा

अगर तड़प दोनों तरफ होगी 

वो सुनहरी शाम भी सजाएगा।


प्रकृति का सौंदर्य हैं कि सूरज को ढलने,

और चांद को निकलने पर मजबूर किया।

सूरज और चांद को मिलाया ऐसा कि,

उनके बीच की दूरी को भी दूर किया। 

सिंदूरी सा रंग फैला हैं फिजाओं में,

पंछियों की आवाज सुर ताल छेड़ रही है।

लहरों में उमंग ऐसी बढ़ी कि वो भी,

एक से दूजे किनारे तक खेल रही हैं।

दिन और रात को वो मिल नहीं पाते,

इसलिए शाम को उनका संगम होगा।

चांद-सूरज बदलते नहीं मौसम के साथ,

इसलिए मिलन उनका हरदम होगा।


और तब से आज तक..

कभी आती है चांद मिलने सूरज को,

तो कभी सूरज चांद से मिलने आता है।

दिन भर का जलता हुआ सूरज अब,

चांद की शीतलता में सुकून पाता है।



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