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संदीप सिंधवाल

Classics

4  

संदीप सिंधवाल

Classics

स्कूल के रास्ते

स्कूल के रास्ते

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स्कूल जाते रास्ते याद है?

हर मोड़ हर सीढ़ी, 

हर पत्थर शिला, 

हर एक पेड़ विशेष 

बस दिलों-दिमाग पे बसा था


छोटी झोपडी सी दुकान

जो हमारे लिए खजाना थी 

कि सब वहीं मिलेगा 

जिस चीज से संतुष्ट होना था।


नजर फलों के पेड़ों पर 

चोर नज़रों से देखकर 

मन में योजनाएं तो बनती 

पर बापू का डंडा सब रोक देता था


घर लौटते वक्त रास्ते में ही

कंचे खेलना तो नियम बना

कुछ गुप्त गुफाएं सी राज थी 

जिसमें बहुत कुछ छिपाया जाता था


उन रास्तों पर चलते तो झूम के

कभी भागते तो कभी सुस्ताई चाल

ठोकरें भी संभाल जाती 

सच कितना लगाव था स्कूल के रास्तों से


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