गिले-शिकवे भुलाकर मिलें हम-तुम
गिले-शिकवे भुलाकर मिलें हम-तुम


हमसे क्या हो गई है खता,
और क्या हुई है ऐसी वैसी भूल।
सजा दोगे बदले में जो तुम,
वो भी हमें होगी जी कबूल।
प्यार किया है ना तो,
जरा खुलकर इकरार करो।
नाराजगी ऐसे जताकर यूं,
नहीं चुभाओ दिल में शूल।
चलो करते हैं अब प्यार की बातें,
करके गिले-शिकवे एक-दूसरे के दूर।
मान लेते हैं कि अब से,
तुम मुझे और मैं तुमको कबूल।