दुनियादारी
दुनियादारी
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
दुनिया भली या की दुनियादारी
कल उसकी, आज अपनी बारी
सहारा मात्र धैर्य इंतजार उम्मीद
महँगी घडी से वक्त नही बदलता
विशेष डब्बा जल्दी नही पहुँचता
प्रलय कभी भेदभाव नहीं करता
मनमाफिक नहीं यह दुनिया
रोते हुए क्यों आते लोग ?
उतनी बुरी भी नही यह दुनिया
जाते वक्त क्यों रुला जाते लोग ?
खाली पेट जगाती दुनिया
क्षमता भर खिलाती दुनिया
नींद में उम्मीद भरती दुनिया
व्यर्थ है औरों के सपनों से होड
जाना सबको सबकुछ यहीं छोड
भाग्य वैभव का गुरुर मत रखना
दुनियादारी का अंत राख बनना।