कैसे जीऊँ
कैसे जीऊँ


सोचता हूं जिन्दग़ी ईमानदारी से जीऊँ
पर जिंदगी ईमानदारी से जी सकते हैं क्या
इतनी खुशियां बटोर लूं जिंदगी में के कभी कम ना पड़ें
पर बिना गम सिर्फ खुशियों से जी सकते हैं क्या
अंधेरों में भी मिलता है सुकून रोशनी वालों
हम सिर्फ रोशनी में जी सकते हैं क्या।