ऐसी भी क्या नाराजगी
ऐसी भी क्या नाराजगी
ऐसी भी क्या नाराजगी जो बात भी नहीं करते
ऐसी भी क्या खता हुई जो माफ़ भी नहीं करते
चलो बात नहीं करते तो बात सुन तो लो
समझदार कहते हैं सभी रस्ते बंद नहीं करते
जो दरवाजे बंद करो तो झरोखा खुला रखो
मायूसी भरे अंधेरे कितने भी गहरे लगें
उम्मीद की रोशनी को कभी रोका नहीं करते!

