कविता - मन से बोलो #सीधी बात
कविता - मन से बोलो #सीधी बात
अच्छा ना लगे तो बोल देती हूं
किसी को चोट लगे तो
जान बूझ करने का इल्ज़ाम भी लेती हूं
सीधी बात
कहूं तो क्या हरकत है,
लड़की है
पर तरीका तो देखो
ना कहूं तो गूंगी क्या
बोलना भी नहीं आया
सीधी बात
मन खराब नहीं सच्चा है
इसी लिए दूसरों की तरह
पीछे नहीं बोलती
विचार नेक है इसी लिए जान बूझ कर
नहीं करती
विचार खराब होता तो
ना बोले पीछे से वार करती
सामने मैं हूं तो सामना करूंगी
अच्छा हो या बुरा फिक्र करूंगी
रिश्ता निभाना है दिल से
इसी खातिर सीधी बोलूंगी
पीछे बोलकर अच्छी वाह वाह नहीं चाहिए
तुम्हारे अच्छे के लिए सामने में बुरा ही सही
पर मैं जरूर बोलूंगी सीधी बात।