प्यार की मंजिल
प्यार की मंजिल
मीठी सी एहसास है
प्यार भरी जिंदगी है
होना था अलग रहना
जीने की कोशिश है
वो थे मैं भी थी
समय गुजरा जमाने देखी
कैसी लगी पता ना हो
पर हल्का दर्द उठा वह तो थी
पतंग बन के उड़ी जहां
प्यार की पक्षी थी
ऊपर आसमान नीचे हम
जमीन में उतरना भूल बैठी

