सवालो के घेरे.....
सवालो के घेरे.....
अक्सर मैं....सवालों मे छुपे..... उत्तर ढूंढते रहती हूँ
अक्सर मैं....खामोश जुबाँ वालो के.....मन को
पढ़ने की कोशिश करते रहती हूँ
लोग बैठते है अक्सर चंद बाते लेकर..... मैं उसमें अहम बाते ढूँढने की कोशिश करते रहती हूँ
लिखी हुई किसी की कुछ लाईन.... उसमें मैं गहरे राज ढूँढने की कोशिश करते रहती हूँ.....
अक्सर मैं पागलो वाली हरकते करते रहती रहती हूँ
दिखे कोई उदास चेहरा.... उसके होठो पे मुस्कान लाने की कोशिशे अक्सर करते रहती हूँ 😇😇
सुना जाते है लोग अक्सर मुझे कुछ बाते...
मैं खामोशी से सुन..... एकांत दुनियाँ रो पड़ती हूँ
अक्सर सवालों के जवाब मुझे देने नहीं आते
मैं खामोशी से सबकी बाते सुन....... शांत सी रह जाती हूँ
नही पता मुझे..... मैं हूँ या नही कुछ करने के काबिल
कुछ लिखने के काबिल...... कुछ सुनाने के काबिल???
अक्सर सवालों के घेरे में मैं खुद को पाती हूँ
लग जाये मेरी वजह से किसी को बुरा
तब खुद ही रो पड़ती हूँ..... अक्सर मेरे जुबाँ से ज्यादा
आँखे बोल पड़ती है..... मैं रह जाती हूँ खामोश
और मेरी आँखे रो पड़ती है........, ✍️✍️
✍️ वर्षा रानी दिवाकर 🥰
