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Krishna Bansal

Drama Tragedy

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Krishna Bansal

Drama Tragedy

रिश्ता- सास बहू का

रिश्ता- सास बहू का

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मानवीय रिश्तों में, 

सबसे अधिक बेसुरा और 

बदनाम रिश्ता है 

सास-बहू का।

 

सास कितने चाव से, 

लाखों मन्नतें मांगने के बाद,

बेटे की शादी करती है।

बहू को प्रवेश करवा

अपने घर ले आती है, 

घर की दहलीज पर 

बलाएँ उतारती हैं, 

आरती उतारती है, 

आलते से बहू के

पांव के निशान डलवाती है। 


छह सात माह पश्चात ही 

शुरू हो जाता है 

शीत युद्ध। 


कुछ अरसे उपरांत 

खुला युद्ध भी,

ताना कसी भी।


मां अपने प्रिय पुत्र पर 

अधिकार छोड़ना नहीं चाहती

बहू पूर्ण कब्जा करना चाहती है

पिस कर रह जाता है 

दो पाटों के बीच 

यह पुरुष नाम का जीव। 


मां की सुनता है तो 

बहू कहती है,

मॉमज़ बॉय 

बहू की सुनता है तो 

माँ कहती है, 

जोरू का गुलाम। 


बहू कितने अरमान संजोए

अपने पिया के घर प्रवेश करती है 

पिता का घर पीछे छोड़ 

इस अनजान से रिश्ते को 

सिर माथे लगाती है।


कहीं नौकरी का संघर्ष

कहीं काम का तनाव 

कहीं आर्थिक समस्याएं

जिस घर में यह सब नहीं 

वहां सबसे बड़ी समस्या 

अहम की टकराहट।


सास शब्द को तो 

सदैव गलत ही समझा गया है।


सच्चाई यह है

जो आज बहू है 

उसे कल सास बनना है

जो आज सास है 

वह कभी बहू थी।


लड़कियाँ भी मायके से, 

लोक गीतों के माध्यम से, 

आसपास के वातावरण से, 

सास के प्रति 

ज़हर भर कर लाती हैं।


ताली दोनों हाथों से लगती है 


यह भी सच है।

कई घरों में

नई नवेली के साथ 

व्यवहार ठीक नहीं होता।


एक कड़वा सत्य

सास मां नहीं बन सकती  

न ही बहू बेटी।

 

इस सास बहू के रिश्ते में 

कोई न कोई लाइन 

खींची रह जाती है। 


काश!

कोई ऐसा तरीका हो

यह रिश्ता मधुर हो जाए।



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