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Devendraa Kumar mishra

Classics

4  

Devendraa Kumar mishra

Classics

राम जैसा वर

राम जैसा वर

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370


अम्माँ मैं न मांगू श्याम से श्याम जैसा वर 

जिन पर मोहित राधा रानी 

जिनकी रुक्मिणी महारानी 

जिनकी वाक पटुता का नहीं कोई सानी 

जिनके नयन पड़े जित ओर

जिनके चरण पड़े जित ओर 


फिर न कोई वीर बचे 

न बचे कोई अभिमानी 

क्या भरोसा इनका कब 

छोड़ कर सब प्रीत प्यार 

बना लें कहाँ राजधानी 

गोकुल, मथुरा, द्वारिका 

कब कर दे कुरुक्षेत्र में वीरानी 


माँ, नहीं चाहिए छलिया ऐसा 

जाके छल का ओर न छोर 

जिनके लिए क्या संध्या क्या भोर 

जो किसी के नहीं और बसते हैं चारों ओर 

जय हो सीता मैया की 

मैं तो मांगू श्याम से राम जैसा वर 


जिनके संग संग सीता माता 

साथ में लक्ष्मण भ्राता 

जो सीता के हैं प्यारे, कौशल्या के राज दुलारे 

विछोह में वैदेही के जो वन वन फिरे मारे 

रावण मारा, सिया जी संग पधारे 

मैं तो चाहूँ एक पत्नी धारी, राम सा वर 

मैं मांगू मैया श्याम से राम जैसा वर 


मुझे नहीं चाहिए जो सबका है और किसी का नहीं 

मैं मांगू माखनचोर से 

जिसने बाँधा गोपियों को प्रेम डोर से 

कृष्ण दे दो राम सा साथी मुझे 

तुम्हारी माया से मति भरमाती मुझे 

शिष्ट और शालीन, सिय के प्यारे

सबसे अनोखे 

सबसे न्यारे राम सा वर।


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