स्मृति
स्मृति


आज जब आया वीर जवान
घर में थी त्यौहारों की सी बहार,
माँ- बाबा, भय्या, बहना,
उसकी अर्धांगिनी और बच्चों
का प्यारा सुरक्षा-कवच
सबका है प्यारा पूरे गाँव की,
हे वो शान हर कोई पुकारें
हमारी सेना का फौजी।
हमारे देश की आन-बान
जब करता सरहदों पर
देश की सुरक्षा में सजगता से
"प्रहरी बना"।
ना देखें रात, ना देखें दिन,
ना देखें किसी भी मौसम
को हर समय रहे सर्तक।
दुश्मनों के दांत खट्टे करता ....!
आज जब आया "वीर जवान"
"राष्ट्रीय ध्वज" में लिपट कर।
"स्मृतियों" में भरी अश्रुपूर्ण
आंखों से "माँ- बाबा,भय्या,
उसकी अर्धांगिनी, मासूम बच्चें"
सब "शहीद" को देतें श्रद्धांजलि
गाँव का अलबेला चला आज,
देश पर "क़ुर्बान" हो अमर हो गया...!
(बार्डर)
"संदेशे आते हैं, हमें बुलाते हैं"।
तुम कब आओगे...!