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सुरेश पवार

Romance Classics

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सुरेश पवार

Romance Classics

वियोग

वियोग

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वियोग है मुझे,

आपका इंतजार है,

याद आती है पलपल तू,

वियोग कैसे सहूँ मैं,


सामने चेहरा आता है जब जब,

शिकायत आपसे न किया, करो,

चेहरा आपका है सामने,

कभी कभी चांद दिखाय करो,


अब सहा नहीं जाता विरह,

रोज अब मिला करो,

दो दिन की है जिंदगानी,

वियोग मे न जिया करो।


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