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संजय कुमार जैन 'पथिक'

Romance Tragedy Classics

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संजय कुमार जैन 'पथिक'

Romance Tragedy Classics

उसकी सिल्वर जुबली

उसकी सिल्वर जुबली

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वो अभी तक है

उतनी ही खूबसूरत

जवां और हसीं

ये भी सच है कि

उसे कभी छुआ भी नहीं


अब 25 सालों से 

देखा भी नहीं

आज उसने पहली बार कहा

मुझे लिखो

मैं खोजना चाहता हूँ


वो कलम

जो उसे लिख सके

मगर अपने हाथों से

वो कलम कर दी थी

किसी और के हवाले

जो ले गया 7समंदर पार


वो दर्द का दुश्मन है

Pain specialist

और मैं दर्द ही दर्द

मेरे मौन का सुधी

समझो अर्थ

खुश रहो, आबाद रहो


जन्मों तुम दोनों साथ रहो

और मैं 

तुम्हें याद करते हुए

अपनी सीमा में रहूं

बस और क्या कहूँ।


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