फिरसे बहार आयेगी
फिरसे बहार आयेगी
फिरसे बहार आयेगी
फिजाये प्यारमे घायल होंगी
फिरसे मौसम होगा रंगीन
पेड की शाखाओं पे
खिलेगी मोहब्बत फिरसे
हवाओं में महक होंगी
हर डाली पे नये फुल
हर पत्ते नये होंगे जरूर
खिलेगी मोहब्बत फिरसे
ग्रिष्म कि तपती धूप से
धरा हो रही प्यासी देख
सूरज की गरमी घायल
हर वो जान भिगेगी देख
फागुन का महीना हैं आया
होली की रंग चढेगा जरूर
कृष्ण के संग हर राधा भी
प्रेम रस में नहायेगी
चढी हैं धूप कुछ ज्यादा सी
मानो कहर बरसायेगी अभी
बरसेगा प्यार नीले का भी
बहरेंगा फिरसे यह चमन भी
बहारे फिरसे बहरेंगी..
इश्क इबादत प्यार मोहब्बत
दौर युही फिरसे छायेगा..
होंगे तुम भी तो इनके साथ
करोगे उन पल को याद जरूर
बारिशे होंगी, प्यार का आलम भी
निगाहो में यादों के पल भी
साथ होंगे पर सभी तुम्हारे
बस हम ही नही होंगे ,बस हमें ही नही होंगे..
बेशक फिजाये गुजेंगी
हवाएँ रूख बदलेगी
बरसाते प्यार से भी प्यारी होगी
हम फिरसे तेरे यादों के संग
बहार फिरसे आयेगी
बस हमें ही नहीं होंगे।

