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Amit Kumar

Romance Classics Inspirational

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Amit Kumar

Romance Classics Inspirational

धरोहर

धरोहर

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कुछ घरोहर है तुम्हारी

मेरे पास में

कुछ ख़्वाब है

कुछ नींद है

कुछ पलकों पर गिरे

शबनमी आँसू है


कुछ जेब मे अटकी

हवाएं है

कुछ ज़ुल्फ़ें बरहम के साये है

कुछ अंधेरों में जुगनू से

टिमटिमाते से है

कुछ अधरों पर

दम तोड़ती प्यास है


कुछ आंखों में छुपी हुई आस है

कुछ दर्द है जो

हमने छांटे है 

कुछ लम्हें है

जो हमने बांटे है

कुछ रसोई के मसालों की महक है


कुछ जंगल में बुलबुल सी चहक है

एक दरिया है जो दम भरता नही

एक साया है जो किसी से डरता नही

कुछ रस्साकस्सी से जुमले है

कुछ बन्द मकानों की खामोशी सी है


एक दिल है जिसमें तुम थे बसे

बाकी एक मिट्टी है ताज़ी जो बासी सी है।


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