STORYMIRROR

पैमाने के दायरों में रहना

पैमाने के दायरों में रहना

1 min
28.9K


पैमाने के दायरों में रहना,

छलक जाओ तो फिर ना कहना,

जो जहाँ लकीरों की कद्र में पड़ा हो,

उस से पंखों के ऊपर ना उलझना,

किन्ही मर्ज़ियों में बिना बहस झुक जाना,

तुम्हारी तक़दीर में है सिमटना।


पैमाने के दायरों में रहना,

छलक जाओ तो फिर ना कहना,

क्या करोगे इंकलाब लाकर ?

आख़िर तो गिद्धों के बीच ही रहना,

नहीं मिलेगी आज़ाद ज़मीन,

तुम दरारों के बीच से बह लेना।


पैमाने के दायरों में रहना,

छलक जाओ तो फिर ना कहना,

जिस से हिसाब करने का है इरादा,

गिरवी रखा है उसपर माँ का गहना,

औरों की तरह तुम्हें आदत पड़ जाएगी,

इतना भी मुश्किल नहीं है चुपचाप सहना।


पैमाने के दायरों में रहना,

छलक जाओ तो फिर ना कहना,

साँसों की धुंध का लालच सबको,

पाप है इस दौर में हक़ के लिए लड़ना,

अपनी शर्तों पर कहीं लहलहा ज़रूर लोगे,

फ़िर किसी गोदाम में सड़ना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama