STORYMIRROR

मोहित शर्मा ज़हन

Others

3  

मोहित शर्मा ज़हन

Others

बहरी दुनिया

बहरी दुनिया

1 min
216

शायद मेरी आह तुझे अखरने लगी

तभी अपनी रफ़्तार का बहाना बना

मुझे अनसुना कर गयी

मेरा शौक नहीं अपनी बातें मनवाना,

किन्ही और आँखों को तेरी हिकारत से

है बचाना !!


तुझ से अच्छी तो गली की पागल

भिखारन

मुझे देख कर मेरे मन का हिसाब

गढ़ लेती है

आँखों की बोली पढ़ लेती है


उम्मीदों से, लकीरों से

तड़पते पाक ज़मीरों से

इशारों से, दिल के ढोल गँवारों से

कभी तो भूलेगी अपनी और

मेरी कमियाँ,

मेरी बात सुनेगी, समझेगी 

यह बहरी दुनिया!!



Rate this content
Log in