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मोहित शर्मा ज़हन

Abstract

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मोहित शर्मा ज़हन

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तेरे प्यार के बही-खाते...

तेरे प्यार के बही-खाते...

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जुबां का वायदा किया तूने

कच्चा हिसाब मान लिया मैंने,


कहाँ है बातों से जादू टोना करने वाले?

तेरी कमली का मज़ाक उड़ा रहे दुनियावाले!


रोज़ लानत देकर जाते,

तेरे प्यार के बही-खाते!


तेरी राख के बदले समंदर से सीपी मोल ली,

सुकून की एक नींद को अपनी 3 यादें तोल दी।


इस से अच्छा तो बेवफा हो जाते,

कहीं ज़िंदा होने के मिल जाते दिलासे।


जाने पहचाने रस्ते पर लुक्का-छिपी खिलाते,

तेरे प्यार के बही-खाते!


फिर तेरे हाथ पकड़ आँगन से आसमान तक लकीरें मिला लूँ,

दिल पर चेहरा लगा कर नम नज़रों से तेरा सीना सींच दूँ!


पीठ पीछे हँसने वालो के मुँह पर मंगल गा लूँ,

इस दफा फ़रिश्ते लेने आयें...तो पीछे से टोक लगा दूँ।


काश !अगले जन्म तक बढ़ पाते,

तेरे प्यार के बही-खाते!


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