नये साल में क्या बदला
नये साल में क्या बदला
नए साल में क्या बदला है
चलो आज की रात बाहर ठहर के देखा जाए
ठंड से कांप रहे जो व्यक्ति सड़कों पे
क्या उनको सर के छुपने को छत मिली है..!!
चलो आज की रात ठहर कर बाहर का नज़ारा देखा जाए।।
क्या उनको भी मिलेगा इस ठिठुरन में
कम्बल और रज़ाई का साया
या यूं ही किसी कोने में दुबक कर
रात बिताने को लाचार होना पड़ेगा..!!
चलो आज की रात ठहर कर बाहर का नज़ारा देखा जाए।।
गुलजार होंगे होटल और माल भी सजेंगे
दौर होगा पार्टियों का और जाम भी चलेंगे
ठंड से ठिठुरते उन तमाम लोगों को
क्या नए साल में खाना और कपड़ा मिलेंगे ..!!
चलो आज की रात ठहर कर बाहर का नज़ारा देखा जाए।।
बहुत लाचारी और बेबसी है फ़ैली
नहीं कुछ भी यहां नये साल में बदला
गरीबों के तो हिस्से में यहां कुछ भी नहीं आया
उन्हें बस मिला खुला आसमान और हिस्से में कुछ भी नहीं आया..!!
चलो आज की रात ठहर कर बाहर का नज़ारा देखा जाए।।
