निराशावादी पहलू
निराशावादी पहलू
कुछ देखी-सुनी घटनाएँ
और कुछ घटी हुईं…
मूलतः मेरे ही साथ।
कुछ संवेदनाएँ,
चन्द अनुभूतियाँ,
और कुछेक
कटु-मधुर अनुभव,
बाध्य किया करते हैं
कुछ लिखने को !
और शायद
सिर्फ़ लिखने के लिए
कभी नहीं लिखा मैंने…
इसीलिए अगर
निराशावादी पहलू
या फिर कोई नाकामी
झलक उठे कभी
मेरी रचनाओं में
तो मेरा क्या दोष ?
लोगों की शिकायतों से,
उनकी तीखी बातों से
तंग आकर... घबराकर,
क्या छोड़ दूँ लिखना..?