लोगों की शिकायतों से उनकी तीखी बातों से तंग आकर... घबराकर, क्या छोड़ दूँ लिखना..? लोगों की शिकायतों से उनकी तीखी बातों से तंग आकर... घबराकर, क्या छोड़ दूँ लिखना...
और नहीं माया कहीं, और न कुछ संयोग। और नहीं माया कहीं, और न कुछ संयोग।
ख़ुशी के बीच उदासी छोड़ कर जाने शाम क्यों बुझी रहती है ख़ुशी के बीच उदासी छोड़ कर जाने शाम क्यों बुझी रहती है