कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता, गौर से देखिए, किसी कोने में छिपकर, सिसकियों के घूँट पीता है वो... कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता, गौर से देखिए, किसी कोने में छिपकर, सिसकियो...
लोगों की शिकायतों से उनकी तीखी बातों से तंग आकर... घबराकर, क्या छोड़ दूँ लिखना..? लोगों की शिकायतों से उनकी तीखी बातों से तंग आकर... घबराकर, क्या छोड़ दूँ लिखना...
अब नहीं है निशान मात्र भी संवेदना के उस काले टीके का, जो लगाया गया था तुम्हें बुरी नज़र से बचाने क... अब नहीं है निशान मात्र भी संवेदना के उस काले टीके का, जो लगाया गया था तुम्हें...
जनून की हद तक ले चल वक़्त की पतवार पे बहता चल जनून की हद तक ले चल वक़्त की पतवार पे बहता चल