मख़मली आँचल
मख़मली आँचल
तेरे मख़मली आँचल पे टँके
चाँद की क़सम,
तेरे नाम सारी चाँद रातें
लिख देंगे हम।
डूबेगा कोई पाख,
न अमावस होएगी,
तेरे दर पे कोई उदास सी
न साँझ ढलेगी।
न चटकेगी ज़मीं तेरी
सूरज की तपिश से,
कुछ यूँ तेरे आँगन में
बरसात होएगी।
न रज-ओ-ग़म के काँटे
होंगे गुलशन में तेरे,
पतझड़ में भी खिलेंगे
ग़ुल बाग़ में तेरे।
इक बार इशारा तो कर
चिलमन की ओट से,
ओ महज़बीं तेरे नाम
क़ायनात कर देंगे।