STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

महाराणा सांगा

महाराणा सांगा

1 min
420



जिस्म पर घाव लगे हुए थे, उनके तो अस्सी

राणा सांगा ने संभाली थी, एकता की रस्सी

जिनके नेतृत्व में एक हुए थे, सब राजपूत

खानवा के युद्ध में, एक हुई, राजपूत बस्ती


प्रथम चरण में तो, राणा सांगा जीत भी गये

पर भारी पड़ गई, उनकी लापरवाही मस्ती

उनके एक हाथ, एक पैर, एक आंख नहीं थी

ऐसे योद्धा थे, जिनकी कर्म पर थी, हरपल दृष्टि


उनके उतालपने, ओर, युद्ध के प्रति दीवानेपन

इतिहास में उनके जैसे नही हुई, दुबारा हस्ती

आखरी अपनों ने ही दे दिया, विष जबर्दस्ती

फिर भी कैसे भूलेंगे, उनकी हम वतन परस्ती


जिन्होंने इस देश बदले, जान मानी थी, सस्ती

मांडलगढ़ में बनी उनकी छतरी, बहुत अच्छी

खुद पर गौरव महसूस करता है, बहुत साखी

उसकी रगों में भी, मांडलगढ़ की माटी बसती


राणा सांगा के नाम से, लहूं है, उबाल मारता

राणा सांगा के नाम से, पत्थर भी है, दहाड़ता

वो नाम नही, वो तो एक बिजली थी, कड़कती

सांगा के गुण ग्रहण करे, जो वीरता थी, गरजती



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama